सम्पूर्ण अलौकिक विद्याओं का सिर्फ एक छोटा सा सार




जितना भी सीखा है उसका सार बहुत थोड़ा सा ही है Health is Wealth, शायद थोड़ा बेकार सा पोस्ट लगे लेकिन यही सत्य है, तत्व, इन्द्रियाँ, स्वर, पंचवायु सब शरीर में स्थित है, इनके बिगड़ने पर कोई बाधा आती है. 




हिन्दू विचारधारा के 6 में से एक ग्रंथ पतंजलि योगसूत्र  के अनुसार 

"समानजयोज्ज्वलनम" सामान वायु जो जीत ले वो उज्जवल हो जाता है, इस सूत्र को हर विषय के लिए खोलने में एक दिन लगेगा. ये वायु शरीर में ही स्थित होती है जो उज्जवल बनाती है, इसका हर विषय के अनुसार मतलब निकलता है, मैंने वास्तु अनुसार इसका आकलन, सरलीकरण किया, के घर में समान वायु किस दिशा, किस देवता, व् किस पद्धति से सही की जा सकती है. लेकिन फिर भी शरीर के लेवल पर ही इसे सही के लिया जाए तो तत्व अपना काम पूर्णतया नहीं कर पाते।  



पूरा तंत्र सिर्फ कर्मेन्द्री और ज्ञानेंद्री पर ही टिका हुआ है, जो सिर्फ एक शरीर के पास ही होती है, जिसका उपयोग एक तांत्रिक भिन्न भिन्न रूपों में करता है. लेकिन मूल शरीर ही है जिसका शरीर सही है वही इसका सही उपयोग कर पाते है. 


रैकी विद्या में ऊर्जा को जरुरत के अनुसार बदल कर ट्रांसफर किया जाता है, ये सब स्वस्थ शरीर वाला ही कर पता है मैंने रैकी के बहुत केस देखे है जहा रैकी सीख तो ली लेकिन अपने आप को नुकसान दे दिया क्यूंकि शरीर स्वस्थ नहीं था.

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