वास्तु शास्त्र मंडल के 45 देवता
वास्तु शास्त्र मंडल के 45 देवता
वास्तु शास्त्र में अनेक मंडल उपयोग में आते है, इसमें दो मंडल परमशायिका मंडल और मंदिर का मंडल प्रसिद्ध है. पहले वाले मंडल में 81 पद होते है दूसरे वाले में 64 पद.
इनमे कुल 45 शक्तियों का निवास माना जाता है जिन्हे देव भी बोला जाता है. इनके नाम निम्न प्रकार से है.
ब्रह्मा -भूधर -अर्यमा -विवस्वान -मित्र
आप -आपवत्स
सविता -सावित्र
जय - इंद्र
रूद्र- राजयक्ष्मा
शिखी -पर्जन्य-जयंत-इंद्र-सूर्य-सत्य-भृश-अंतरिक्ष
अग्नि-पूषा-वितथ-गृहक्षत-यम-गंधर्व-भृंगराज-मृग
पितृ-दौवारिक-सुग्रीव-पुष्पदंत-वरुण-असुर-शोष-पापयक्ष्मा
रोग-नाग-मुख्य-भल्लाट-कुबेर-भुजग-अदिति-दिति
ब्रह्मा - शुरुआत का देवता, हर ऊर्जा को स्त्रोत
भूधर - धारण करने वाला, गर्भ को टिकाव देने वाला
अर्यमा - जोड़ने वाला
विवस्वान - आगे ले जाने वाला
मित्र - रूप दिखाने वाला
आप - जल
आपवत्सा - जल को बहाने वाला
सविता - ऊपर उठाने वाला
सावित्र - आगे बढ़ाने वाला
जय - जीत का हथियार
इंद्र - जीतने वाला
रूद्र - आंसू
राजयक्ष्मा - संभालने वाला
शिखी - चोटी, कपाल
प्रजन्य - पजनन
जयंत - काकभुशुण्डि, इंद्रपुत्र
इंद्र - राजा, इन्द्रियाँ
सूर्य - प्रभावित करने वाला
सत्य - जबान
भृश - घर्षण शक्ति
अंतरिक्ष - फैलाव
अग्नि - धन
पूषा - पोषण का देवता
वितथ - दिखावे का देवता
गृहक्षत - दायरा तय करने वाला
यम - नियम का देवता
गंधर्व - कलाकार
भृंगराज - जड़ीबूटी
मृग - जिज्ञासा
पितृ - पूर्वज, पिछले कर्म
दौवारिक - द्वारपाल - नंदी
सुग्रीव - सूंदर गर्दन वाला
पुष्पदंत - शिवभक्त, गंधर्वराज
वरुण - जल का देवता
असुर - माया का रूप
शोष - शनि
पापयक्ष्मा - लत
रोग - कमजोर करने वाला
नाग - कामदेव का अस्त्र
भल्लाट - बड़े शरीर का , बैकुंठधाम का सेनापति
कुबेर - धनपति
भुजग - कुंडलिनी
अदिति - आदित्यों की माँ
दिति - दैत्यों की माँ
वास्तु शास्त्र में अनेक मंडल उपयोग में आते है, इसमें दो मंडल परमशायिका मंडल और मंदिर का मंडल प्रसिद्ध है. पहले वाले मंडल में 81 पद होते है दूसरे वाले में 64 पद.
इनमे कुल 45 शक्तियों का निवास माना जाता है जिन्हे देव भी बोला जाता है. इनके नाम निम्न प्रकार से है.
ब्रह्मा -भूधर -अर्यमा -विवस्वान -मित्र
आप -आपवत्स
सविता -सावित्र
जय - इंद्र
रूद्र- राजयक्ष्मा
शिखी -पर्जन्य-जयंत-इंद्र-सूर्य-सत्य-भृश-अंतरिक्ष
अग्नि-पूषा-वितथ-गृहक्षत-यम-गंधर्व-भृंगराज-मृग
पितृ-दौवारिक-सुग्रीव-पुष्पदंत-वरुण-असुर-शोष-पापयक्ष्मा
रोग-नाग-मुख्य-भल्लाट-कुबेर-भुजग-अदिति-दिति
ब्रह्मा - शुरुआत का देवता, हर ऊर्जा को स्त्रोत
भूधर - धारण करने वाला, गर्भ को टिकाव देने वाला
अर्यमा - जोड़ने वाला
विवस्वान - आगे ले जाने वाला
मित्र - रूप दिखाने वाला
आप - जल
आपवत्सा - जल को बहाने वाला
सविता - ऊपर उठाने वाला
सावित्र - आगे बढ़ाने वाला
जय - जीत का हथियार
इंद्र - जीतने वाला
रूद्र - आंसू
राजयक्ष्मा - संभालने वाला
शिखी - चोटी, कपाल
प्रजन्य - पजनन
जयंत - काकभुशुण्डि, इंद्रपुत्र
इंद्र - राजा, इन्द्रियाँ
सूर्य - प्रभावित करने वाला
सत्य - जबान
भृश - घर्षण शक्ति
अंतरिक्ष - फैलाव
अग्नि - धन
पूषा - पोषण का देवता
वितथ - दिखावे का देवता
गृहक्षत - दायरा तय करने वाला
यम - नियम का देवता
गंधर्व - कलाकार
भृंगराज - जड़ीबूटी
मृग - जिज्ञासा
पितृ - पूर्वज, पिछले कर्म
दौवारिक - द्वारपाल - नंदी
सुग्रीव - सूंदर गर्दन वाला
पुष्पदंत - शिवभक्त, गंधर्वराज
वरुण - जल का देवता
असुर - माया का रूप
शोष - शनि
पापयक्ष्मा - लत
रोग - कमजोर करने वाला
नाग - कामदेव का अस्त्र
भल्लाट - बड़े शरीर का , बैकुंठधाम का सेनापति
कुबेर - धनपति
भुजग - कुंडलिनी
अदिति - आदित्यों की माँ
दिति - दैत्यों की माँ
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