वास्तु शास्त्र सिर्फ नक़्शे का ज्ञान - actual meaning of vastu
वास्तु का अर्थ वास+ तू वास करने के नियम, अब इसमें दो बाते है आवास, अब हम एक घर में निवास करते है जिसे आवास कहते है, और एक हमारी आत्मा हमारे शरीर में निवास करती है वो भी एक आवास हुआ. वास्तु शास्त्र में दोनों वास का वर्णन मिलता है आत्मा का भी और घर का भी.
इस प्रकार दो तरह की वास्तु होती सूक्ष्म और स्थूल
समरांगण सूत्रधर वास्तु शास्त्र का सबसे प्रमाणिक और वैज्ञानिक ग्रंथ माना जाता है, इसके अध्याय 6 भवन जन्म कथा में वर्णन मिलता है सतयुग में कोई वास्तु नहीं था और ना ही किसी को इसका डर था क्यूंकि उस समय चेतना का स्तर बहुत अधिक था, त्रेता युग में चेतना स्तर में गिरावट आयी और मनुष्य पंचतत्व और तामसिकता में फंसता जा रहा है आपको एक बात जानकार हैरानी होगी के विश्वकर्मा प्रकाश नाम के महान वास्तु ग्रंथ में वास्तु पुरुष का जन्म त्रेता युग में बताया जाता है
तो क्या उससे पहले वास्तु नहीं था ???
था.... लेकिन चेतना का स्तर उन्नत था, इन्द्रियों के सही उपयोग थे, जिससे व्यक्ति इन दोषों से मुक्त रहता था.
वास्तु शास्त्र में भी पंचतत्वों के साथ कुछ जगह प्राण का उपयोग हुआ है, कुछ जगह हम इन्द्रियों का उपयोग भी देखते है जैसे भाव उतपन्न करना या रूप पूजा करना।।।।।।।
मेरे कहने का साफ़ अर्थ यही है वास्तु शास्त्र किसी घर के नक्शे का ज्ञान नहीं है, आपके जीने का तरीका, आपका लाइफ स्टाइल, आपका खान पान इससे बहुत बड़ा होता है.
बहुत जगह हम देखते है मेजर वास्तु दोष घर में है लेकिन कोई असर नहीं है, या वास्तु दोष नहीं है फिर भी हालात अच्छे नहीं है, फिर हम ज्योतिष की तरफ गए उन्होंने कुछ बताया, फिर numerology की तरफ गए उन्होंने कुछ बताया, लेकिन हम अगर समस्या के मूल तक जाए तो व्यक्ति की कुछ आदतें भी उसे परेशानी की ओर धकेलती है.
यही मै कह रहा हूँ वास करने के नियम का ज्ञान ही वास्तु शास्त्र है इसमें जो आपका आवास है वो एक हिस्सा है ना की सम्पूर्ण वास्तु।
इसका एक उदाहरण देता हूँ जैसे किसी को झूठ बोलने की आदत है तो तत्व के अनुसार उसका आकाश तत्व खराब है, कर्मेन्द्रियों में उसकी वाणी खराब है अब घर में आकाश ठीक है क्यूंकि बाकी मेंबर्स तो झूठ नहीं बोलते ये सब वास्तु शास्त्र के अंतर्गत ही आया, लेकिन तत्व के अनुसार हमने बता भी दिया के आकाश खराब है ये भी तो वास्तु ज्ञान ने ही बताया, यहाँ हम दूसरे वाले वास की ओर देख रहे है जो की आत्मा का वास है वहाँ परेशानी है.
दूसरी बात - घर वाले आवास को वास्तु शास्त्र में बहुत महत्व दिया गया क्यूंकि यहाँ पर हम अपने सभी कार्य पूरे करते है और यहाँ बैठ कर ही भविष्य के बारे में योजना बनाते है लेकिन सदियों से इसको भी हम व्यक्ति की प्रकृति जैसे वात पित्त कफ व् सात्विक, राजसिक तामसिक और जरूरत धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के अनुसार ही डिज़ाइन करते आ रहे है कोई घर ब्राह्मण के लिए अच्छा है लेकिन वैश्य के लिए नहीं. तो आप सिर्फ नक्शा देख कर नहीं बता सकते के घर अच्छा है या नहीं व्यक्ति को भी देखना पड़ेगा.
सर जी उस घर में डॉक्टर था उसने बहुत तरक्की की थी लेकिन मेरी तो हुई नहीं, अरे उस घर का औषध ग्रह उन्नत है तो कोई भी हीलर तरक्की करेगा और तुम रहे कपडे वाले अग्नि पीड़ित है कहाँ से काम चलेगा.
ज्योतिष शास्त्र की तरह वास्तु शास्त्र भी एक सम्पूर्ण ज्ञान है उसकी कोई लिमिट नहीं है ये किसी का पूरक नहीं है और ना ही कोई ज्ञान इसका पूरक।
मेरे से काफी लोग वास्तु सीखने आते रहते है जिन्हे मैं दोनों तरह की वास्तु पद्धति के बारे में बताता हूँ, ये इतना मुश्किल नहीं होता सिर्फ आपके passion की बात है.
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